आज हम आपको कुंभलगढ़ के दुर्ग के बारे में बताइए अगर आप भी इसके बारे में सुनना चाहते हैं तो पूरा पढ़े
September 23, 2022
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कुंभलगढ़ का दुर्ग राजसमंद जिले के सांगली गांव के पास अरावली पर्वतमाला की तेरा चोटियों से गिरा जरगा पहाड़ी पर मेवाड़ और मारवाड़ की सीमा पर स्थित है इस दुर्ग का निर्माण सम्राट अशोक के दूसरे पुत्र संपत्ति के द्वारा बनाया गया था यह महाराणा प्रताप द्वारा किया गया था वहीं से महाराणा प्रताप की जन्म भूमि भी कहा जाता है यह एक 19वीं शताब्दी में पूर्ण किया गया था महाराणा कुंभा ने इस काम को आगे बढ़ाया आगे बढ़ाने के कारण इस काम में काफी archan आने लगी जिसे के काम में बांदा आने लगी इसे के काम धीरे-धीरे होने लगा राजा ने इस बात पर गौर करें और एक संत को बुलाया संत ने कहा कि यह काम जब भी आगे बढ़ेगा जब किसी एक व्यक्ति को बलि देनी होगी अगर वह बलि देगा तो यह काम आगे बढ़ेगा वरना नहीं होगा और अर्चना की जाएगी यह अर्चन बड़ी भी हो सकती है बताया जाता है कि उसके लिए एक व्यक्ति तैयार हो उसने कहा कि मुझे पहाड़ियों पर चलने दिया जाए अगर जहां में रुक जाऊं वहां मेरी मृत्यु कर दी जाए तो राजा ने आदेश दे दिया इस बार व्यक्ति ऊपर चढ़ने लगा व्यक्ति 35 किलोमीटर की यात्रा कर रूका तो उसका सिर अलग कर दिया गया जा उस व्यक्ति का सिर गिरा वह मुख्य दरवाजा कहा जाता है कुंभलगढ़ का तीसरा दरवाजा खोल दरवाजा आता है भारत की सबसे बड़ी दीवार पहली चीन की दीवार उसके बाद कुंभलगढ़ की दीवार ही प्रसिद्ध है ऐसी आपको महाराणा प्रताप के बारे में बताया जाता है कि महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ में ही हुआ था महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक है वह युद्ध में पढ़ते थे हल्दीघाटी का युद्ध तलवार चलाने माहिती महाराणा प्रताप युद्ध के समय में पहाड़ों के जंगलों के जीवन में बताया था जैसे कि आप महाराणा प्रताप के बारे में जानते हैं कि महाराणा प्रताप बहुत माई छेत्री थे महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को उदयपुर के मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश में हुआ था इनका पिता का नाम राणा उदय सिंह बताया था और माता का नाम हेमंत कुमार था इन्हें सभी लोग मेवाड़ के राजा के नाम जाना जाता था
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