महाराणा प्रताप का वास्तविक नाम महाराणा प्रताप महाराणा प्रताप के बचपन का नाम लिखा था इनका जन्म 2 मई 1540 कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था महाराणा प्रताप के पिता का नाम महाराणा राणा उदयसिंह था उनकी माता का नाम जैव्न्ता बाई था महाराणा प्रताप अपने जीवन काल में मुगल सम्राट के साथ संघर्ष किया महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था इन्होंने हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा था यह तलवार चलाने में बहुत ही माहिर थे और राणा प्रताप के युद्ध के समय इन्होंने पहाड़ों और जंगलों में अपना जीवन व्यतीत किया थ महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक अपने पिता की अंतिम इच्छा के अनुसार ही इन्होंने अपने सौतेले भाई जगमाल को राजा बनाने का निश्चय किया लेकिन मेवाड़ के विश्वासपात्र चुंडावत राजपूतों ने जगमाल को सिंहासन पर बैठाने से मना कर दिया जिसकी वजह से जगपाल को राज गद्दी छोड़ने के लिए बाध्य दिया गया था बाद में महाराणा प्रताप मेवाड़ के चमन में शासक के रूप में मेवाड़ के राजा बने थे उस समय इन्होंने दिल्ली पर अकबर का शासन चल रहा था जगमाल को राजगद्दी छोड़ने पर से मिले अपमान का बदला लेने के लिए अजमेर जाकर जगमाल अकबर की सेना में शामिल हो गया बदले में उसको जांच पूरी की गति मिली थी अजमेर जाकर अकबर की सेना में शामिल हो गया और बदले में उसको जाजपुर की जागीर मिली थी महाराणा प्रताप बचपन से ही साथ सीधी साधी मा नी एवं स्वतंत्रता प्रिय शासक थे जिन्होंने इनका राज्य Abhishek गोगुंदा जिले में हुआ था हल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईस्वी में हुआ महाराणा प्रताप ने 20000 राजपूतों के साथ गूगल सरदार राजा मानसिंह के 80000 सैनिकों का सामना किया सभी सेना के सैनिक बुरी तरह घायल हो गए और महाराणा प्रताप को झाला मान सिंह ने अपने प्राण देकर बचाया था और युद्ध भूमि छोड़ने के लिए बोला था
महाराणा प्रताप के जीवन का संक्षिप्त परिचय
September 23, 2022
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महाराणा प्रताप का वास्तविक नाम महाराणा प्रताप महाराणा प्रताप के बचपन का नाम लिखा था इनका जन्म 2 मई 1540 कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था महाराणा प्रताप के पिता का नाम महाराणा राणा उदयसिंह था उनकी माता का नाम जैव्न्ता बाई था महाराणा प्रताप अपने जीवन काल में मुगल सम्राट के साथ संघर्ष किया महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था इन्होंने हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा था यह तलवार चलाने में बहुत ही माहिर थे और राणा प्रताप के युद्ध के समय इन्होंने पहाड़ों और जंगलों में अपना जीवन व्यतीत किया थ महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक अपने पिता की अंतिम इच्छा के अनुसार ही इन्होंने अपने सौतेले भाई जगमाल को राजा बनाने का निश्चय किया लेकिन मेवाड़ के विश्वासपात्र चुंडावत राजपूतों ने जगमाल को सिंहासन पर बैठाने से मना कर दिया जिसकी वजह से जगपाल को राज गद्दी छोड़ने के लिए बाध्य दिया गया था बाद में महाराणा प्रताप मेवाड़ के चमन में शासक के रूप में मेवाड़ के राजा बने थे उस समय इन्होंने दिल्ली पर अकबर का शासन चल रहा था जगमाल को राजगद्दी छोड़ने पर से मिले अपमान का बदला लेने के लिए अजमेर जाकर जगमाल अकबर की सेना में शामिल हो गया बदले में उसको जांच पूरी की गति मिली थी अजमेर जाकर अकबर की सेना में शामिल हो गया और बदले में उसको जाजपुर की जागीर मिली थी महाराणा प्रताप बचपन से ही साथ सीधी साधी मा नी एवं स्वतंत्रता प्रिय शासक थे जिन्होंने इनका राज्य Abhishek गोगुंदा जिले में हुआ था हल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईस्वी में हुआ महाराणा प्रताप ने 20000 राजपूतों के साथ गूगल सरदार राजा मानसिंह के 80000 सैनिकों का सामना किया सभी सेना के सैनिक बुरी तरह घायल हो गए और महाराणा प्रताप को झाला मान सिंह ने अपने प्राण देकर बचाया था और युद्ध भूमि छोड़ने के लिए बोला था
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