
श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब पूनावाला की कस्टडी साकेत कोर्ट ने चार दिनों के लिए और बढ़ा दी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान आफताब ने जज के सामने कहा कि उससे गलती हुई है और उसने गुस्से में आकर यह कत्ल किया है. बता दें कि आफताब को लिव-इन पार्टनर श्रद्धा की हत्या के आरोप में 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था.श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब पूनावाला की पुलिस कस्टडी बढ़ा दी गई है. साकेत कोर्ट ने अपनी लिव-इन-पार्टनर श्रद्धा की हत्या कर उसके शव के 35 टुकड़े करने के आरोपी आफताब की पुलिस कस्टडी चार दिनों के लिए और बढ़ा दी. कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यह सुनवाई की और इस दौरान आफताब ने जज से कहा कि उसने गुस्से में आकर श्रद्धा का मर्डर किया था. बता दें कि आज आफताब की पुलिस कस्टडी खत्म हो रही थी. आफताब अब तक 10 दिनों तक पुलिस कस्टडी में रह चुका है और वह 4 दिन और रहेगा.आफताब के वकील के मुताबिक, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कोर्ट में श्रद्धा के लिव-इन-पार्टनर आफताब ने जज के सामने कहा कि जो किया गलती हुई, जो किया गुस्से में किया. आफताब ने यह भी कहा कि उसके ऊपर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, उन आरोपों में पूरी तरीके से सच्चाई नहीं है, लेकिन जो कुछ भी मेरे द्वारा किया गया, वह गुस्से में किया गया था., दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से आफताप की 4 दिनों की कस्टडी की मांग करते वक्त कहा कि आरोपी आफताब पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. वह पुलिस के सवालों का सीधा-सीधा जवाब नहीं देता है. पुलिस ने कोर्ट से कहा कि अभी उसे श्रद्धा के कुछ बॉडी पार्ट्स और वारदात में इस्तेमाल हथियार बरामद नहीं हुआ है. इसलिए उसे आफताब की कस्टडी की जरूरत है.श्रद्धा हत्याकांड में अब आफताब पूनावाला का नार्को टेस्ट होने वाला है. अपनी ‘लिव-इन पार्टनर’ श्रद्धा वालकर की हत्या के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का नार्को परीक्षण रोहिणी के डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल में किया जाएगा. पुलिस के अनुसार, पूनावाला ने 18 मई को वालकर (27) को कथित तौर पर गला घोंटकर मार डाला था और उसके शरीर के 35 टुकड़े करके दक्षिण दिल्ली के महरौली स्थित अपने आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा और फिर उन्हें आधी रात के बाद शहर में कई जगहों पर फेंकता रहा था.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय. महाराष्ट्र के सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि पालघर जिले में पुलिसकर्मियों को श्रद्धा वालकर द्वारा 2020 में दर्ज कराई गई शिकायत का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए था. श्रद्धा ने उस शिकायत में अपने ‘लिव-इन पार्टनर’ आफताब पूनावाला पर उसकी हत्या की कोशिश करने का आरोप लगाया था और यह आशंका जताई थी कि वह उसके टुकड़े-टुकड़े कर देगा. उन्होंने कहा कि शिकायत के बाद, स्थानीय पुलिस को बयान दर्ज करना चाहिए था और आरोपी के खिलाफ एक मामला दर्ज कर विषय की जांच करनी चाहिए थी. हालांकि, कुछ अन्य सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कहा कि चूंकि वालकर ने अपना शिकायत पत्र वापस ले लिया था, इसलिए पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह उसके बाद ज्यादा कुछ नहीं कर सकती थी.इस साल मई में, वालकर (27) की पूनावाला ने दिल्ली में कथित तौर पर हत्या कर दी. पूनावाला ने वालकर की गला घोंट कर हत्या कर दी और उसके शव के 35 टुकड़े कर दिये, जिन्हें कई दिनों तक शहर के विभिन्न हिस्सों में फेंकने से पहले उसने दक्षिण दिल्ली के महरौली स्थित अपने आवास पर करीब तीन हफ्ते तक एक फ्रिज में रखा था. बुधवार को पुलिस ने कहा था कि वालकर ने नवंबर 2020 में पालघर के वसई स्थित तुलिंज पुलिस थाना में एक शिकायत दी थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि पूनावाला उसकी हत्या करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि जब स्थानीय पुलिस ने वालकर से संपर्क किया तो उसने शिकायत वापस लेते हुए कहा था कि उसके और पूनावाला के बीच विवाद सुलझ गया है हालांकि, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि राज्य सरकार इसकी जांच कराएगी कि वालकर की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की. पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) प्रेम कृष्ण जैन ने कहा, ‘‘महिला (वालकर) ने एक हस्तलिखित शिकायत के साथ तुलिंज पुलिस से संपर्क किया था, इसलिए वे उसका बयान दर्ज कर सकते थे और उसके लिव-इन पार्टनर पूनावाला के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करते.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह पुलिस का कर्तव्य है कि वह मामला दर्ज करे और कानून के मुताबिक उसकी जांच करे.’’ उन्होंने कहा कि वालकर ने 20 दिन बाद अपनी शिकायत वापस ले ली थी, जो खुद यह संकेत देता है कि वह दबाव में थी. उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि किन कारणों से पुलिस ने उसकी शिकायत की शुरुआत में जांच नहीं की.के पूर्व डीजीपी प्रवीण दीक्षित ने कहा, ‘‘यदि कोई महिला शिकायत के साथ पुलिस थाने जाती है तो उन्हें उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए. उन्हें इसका गंभीर संज्ञान लेना चाहिए और मामले की छानबीन के लिए उसके साथ एक पुलिसकर्मी को भेजना चाहिए.’’ दीक्षित ने कहा कि सरकार को भी निर्देश जारी करना चाहिए कि घरेलू हिंसा की सभी शिकायतों में चार घंटे के अंदर पुलिसकर्मी मौके पर भेजे जाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘वालकर के मामले में, एक पुलिस उपनिरीक्षक ने शिकायत मिलने के बाद दो-तीन बार उसे फोन किया, लेकिन तब तक उसे एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था. अस्पताल के अधिकारियों ने भी पुलिस को उसके बारे में सूचना नहीं दी.’’