महात्मा गांधी का जीवन परिचय महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी खास जानकारियां
September 23, 2022
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महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 18 69 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है महात्मा गांधी को सिद्धांत आज के युग में भी है पर वह काफी प्रचलित है महात्मा गांधी ने देश के हालात को समझने के लिए भारत का भ्रमण किया ना गांधी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपनी अंतिम सांस तक देश के हित के लिए लड़ाई लड़ी वह एक ऐसे नेता के रूप में प्रचलित थे जो अपने हिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजी शासकों के से लड़े व उनके विरोध आंदोलन किया महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है इनको सत्य और अहिंसा की विचारधारा से मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला भी काफी प्रचलित है महात्मा गांधी ने अफ्रीका में भी लगातार 31 वर्षों तक अन्याय के उचित रूप से संघर्ष किया अंग्रेजों को अफ्रीका में ही नहीं बल्कि भारत में भी महंगा पड़ा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो एक ब्रिटिश राज्य के कठियावाड़ की एक छोटी-सी रियासत के दीवान थे महात्मा गांधी की का विवाह वह 13 साल की उम्र में कस्तूरबा गांधी के साथ हो गया विवाह के 2 साल बाद ही उनकी पत्नी का देहांत हो गया इन कठिन परिस्थितियों के बाद भी महात्मा गांधी जी ने हार नहीं मानी अहमदाबाद से हाईस्कूल की डिग्री प्राप्त की और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने लंदन जाकर वकालत की पढ़ाई करने का निश्चय कि या वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद महात्मा गांधी जी भारत वापस लौटे उनके वादों में नौकरी के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा 23 साल की उम्र में वे दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे सप्ताह के बाद रोड एरिया की यात्रा करते समय धक्के मार कर बैठ कर ट्रेन से फेंक दिए गए उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था लेकिन यह नस्लभेद का कारण था कि उन्हें अश्वेत का यात्री श्रेणी में यात्रा करना प्रतिबंधित किया गया इस घटना ने गांधीजी को बुरी तरह आहत किया और अंग्रेजों की अफ्रीका में ही नहीं भारत में भी महंगा पड़ा गांधीजी का योगदान किन-किन में निम्न आइए देखते हैं और इसके बारे में पढ़ते हैं उनके आंदोलन शक्ति एवं हिंसा पर आधारित थे उन्हें कई बार जेल भी भेजा गया था 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली से मार दिया महात्मा गांधी ने देश के आम नागरिकों को एक मंच पर लाकर उन्हें आम नागरिकों के लिए लड़े उन्होंने अंग्रेज सत्ता के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी वे हर काम को बड़ी शांति और साथ ही से करना पसंद करते थे यहां तक कि आजादी की लड़ाई भी उन्होंने बिना किसी तलवार और बंदूक कैसे लड़ी आइए जानते हैं मार्च से शुरू हुई इस यात्रा ने अंग्रेजी सत्ता के सामने क्या संदेश दिए महात्मा गांधी जी ने दांडी मार्च को नमक यात्रा बारडोली सत्याग्रह के रूप में भी इतिहास में जगह मिली है साल 1930 में अंग्रेज सरकार ने जब नामक पर कर लगाया दिया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के खिलाफ आंदोलन छेड़ा यह ऐतिहासिक 97 गांधी समेत आठ लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्र तटीय गांव डांडी तक पैदल यात्रा 390 किलोमीटर की 12 मार्च को शुरू हुई यह यात्रा 6 अप्रैल 1930 को समय हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून भंग करने का आह्वान किया इस यात्रा में नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर सबसे बड़ी मात्रा में जो कल लगाया गया था यह यात्रा उसके लिए थी नमक जीवन के लिए जरूरी चीज होने के कारण भारत वासियों को इस कानून से मुक्त करने और अपना अधिकार दिलाने हेतु यह सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम आयोजित किया गया यह सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया गया सविनय अवज्ञा आंदोलन पूरे 1 साल तक चला महात्मा गांधी जी ने 1931 को गांधीजी समझौते पर से खत्म हो गया इस आंदोलन से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई थी इस आंदोलन न्यू संपूर्ण देश को अंग्रेजो के खिलाफ व्यापक जन संघर्ष को जन्म दिया था गांधी जी के साथ सरोजिनी नायडू ने भी नमक सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया