मोबाइल का उपयोग करना चाहिएफिर से हम आपके लिए कुछ खास लेकर आया है आज गूगल बाबा ने जमकर किया लगते और हालचाल उठा लिया मिली सबको मजा आया और धूम मचाए गूगल बाबा नेगूगल बाबा आज के उस समाज की कहानी है जिसमें हर इन्सान किसी भी तरह की जानकारी के लिये सिर्फ और गूगल पर ही निर्भर हो गया है जिसमें चाहे शहर लोग हो या गाँव के आज हर व्यक्ति के पास स्मार्ट फोन है चाहे अनपड हो या पढ़ा लिखा सब लोग स्मार्ट चलाना जानते है | और सभी लोग अब गूगल पर निर्भर हो गये है | आधुनिक युग एवं तकनीकी के चलते हमारा भी आधुनिक होना इतना आवश्यक हो गया है की हमारे हाथ में एक अलग ही दुनिया का रिमोट आ गया हो | इसमें हमें लगता है की हम दुनिया को चला रहे है |आप सभी जानते हैं कि उम्र 3 दिन मबाइल का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है मोबाइल के जरिए ही पूरी दुनिया से जुड़े हुए हैं हम जाए तो 1 मिनट में कहीं भी फोन लगा सकते हैं और हम 1 मिनट में कहीं से भी कहीं जा सकते हैं और मोबाइल के बहुत सारे उपयोग है और बहुत सारे नुकसान है और अमजद मोबाइल देखते हैं तो हमारे मानसिकता पर कभी फर्क पड़ता है और हमारे आपको ज्योति भी कमजोर होती है दूसरे छोटे बच्चे आजकल के मां-बाप ऐसे होते भी छोटे बच्चों को कार्टून देखने के लिए मोबाइल दे देते हैं मोबाइल देते ही छोटे बच्चों पर लगे रहते हैं यह करना काफी खतरनाक है छोटी सी उम्र में ही है उनके मोबाइल दे दिया जाता है कि वह सारे लोग खाना खाते हैं तो खाना खाते हैंनाट्य कला मंच पर दिखा गुगला बाबा का ज्ञान:जीवन और आधुनिक उपकरणों के बिच उठापक, एक्स्पेरिमेंत्ल नाटक जो सोचने पर करता है मजबूर
जयपुर4 घंटे पहले
40 दिनों की महनत में दिखी जीवन और आधुनिक उपकरणों के बिच की उठापक
40 दिवसीय नाट्य कार्यशाला के बाद तैयार नाटक गुगल बाबा की परफॉर्मेंस ने जम कर तालियां बटोरी। ओम प्रकाश सैनी के निर्देशन और अंजलि सैनी, आदित्य सैनी के सहायक निर्देशन में बना ये नाटक जीवन और आधुनिक उपकरणों के बीच घूमता है।
40 दिवसीय थिएटर वर्कशॉप के बाद दिखा गुगल बाबा का जादू
40 दिवसीय थिएटर वर्कशॉप के बाद दिखा गुगल बाबा का जादू
गूगल बाबा आज के उस समाज की कहानी है जिसमें हर इन्सान किसी भी तरह की जानकारी के लिये सिर्फ और गूगल पर ही निर्भर हो गया है जिसमें चाहे शहर लोग हो या गाँव के आज हर व्यक्ति के पास स्मार्ट फोन है चाहे अनपड हो या पढ़ा लिखा सब लोग स्मार्ट चलाना जानते है | और सभी लोग अब गूगल पर निर्भर हो गये है | आधुनिक युग एवं तकनीकी के चलते हमारा भी आधुनिक होना इतना आवश्यक हो गया है की हमारे हाथ में एक अलग ही दुनिया का रिमोट आ गया हो | इसमें हमें लगता है की हम दुनिया को चला रहे है |
नाटक दिखाता है कैसे आज के युग के सभी लोग अब गूगल पर निर्भर हो गये है
नाटक दिखाता है कैसे आज के युग के सभी लोग अब गूगल पर निर्भर हो गये है
जबकि हकीकत ये है की एक छोटी मशीन हमारे पुरे मस्तिष्क के साथ दिल और दिमाग को कंट्रोल कर हमारी भावनाओं से खेल रही हमें पूरी तरह से सोसियल नेटवर्क के जाल फंसा रही है – जिससे इन्सान की संवेदना भी मरती जा रही है | हम मोबाईल के जरिये पूरी दुनिया से तो जुड़ गये है लेकिन हम अपने सभी लोगों से उतने ही दूर हो गये है | इसके साथ जितने आज इसके फायदे है उससे ज्यादा इसके नुकसान है।
गुगला को अपना भगवान बना चुके के जिसके बिना उनकी जिंदगी बेमतलब और बेबुनियाद हो गई है।
गुगला को अपना भगवान बना चुके के जिसके बिना उनकी जिंदगी बेमतलब और बेबुनियाद हो गई है।
जीवन और इन आधुनिक उपकरणों के बिच की की उठापक के इर्द गिर्द घूमता हुआ एक एक्स्पेरिमेंत्ल नाट्य प्रस्तुति है गूगल बाबा |
नाटक में प्रवीण कुमावत और फूलचंद सैनी ने संगीत निर्देशन की कमान संभाली थी।
नाट में दिखाया है की कैसे आज हमारी जिंदगी पर आधूनिक उपकरणों ने कबजा कर लिया है
नाट में दिखाया है की कैसे आज हमारी जिंदगी पर आधूनिक उपकरणों ने कबजा कर लिया है
ओम प्रकाश सैनी के निर्देशन में बने इस नाटक ने आज के युग के कई पहलुओं पर रोशनी डालने की कोशिश की है।
ओम प्रकाश सैनी के निर्देशन में बने इस नाटक ने आज के युग के कई पहलुओं पर रोशनी डालने की कोशिश की है।
नाटकवाला मंच की नीव रखने वाले एवं राजस्थान विश्विद्यालय के नाट्य विभाग के पूर्व छात्र रहे ओम प्रकाश सैनी का कहना है की मैंने नाटक की दुनिया रंगमंच में आना ही एक नाटकीय घटना है | किन्तु रंगमंच में आने के बाद मुझे रंगमंच करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा सबसे बड़ी समस्या गाँव से शहर आना और अपनी रंगमंच की कला का प्रदर्शन अपने क्षेत्र के लोगो को ना दिखा पाना बन गयी वैसे ही हर समाज रंगमंच एवं नाटक जैसे विधा को हासिये की नजर से देखता है और फिर जब मेरे जीवन का लक्ष्य ही जीवन पर्यन्त रंगमंच करना है तो मैं अपने आप को जीवन भर हासिये का पात्र बन कर तो नहीं रह सकता है | इसका एक ही उपाय है की जिस समाज में आप रहते हो उस समाज के लोगो को रंगमंच की समझ विकसित की जाये उसी का परिणाम है मेरे इसी विचार से आमेर में नाटकवाला कला मंच की नीव मोबाइल फोन हर दिन आने-जाने के लिए उपयोगी हो गए हैं। आज, कोई मोबाइल फोन पर लाइव ट्रैफ़िक स्थिति का आकलन कर सकता है और समय पर पहुंचने के लिए उचित निर्णय ले सकता है। कई ऐप फंसे हुए ड्राइवर या किसी विशेष स्थान पर पहुंचने के इच्छुक व्यक्ति को नेविगेशन सहायता प्रदान करते mobile se ab har log sampark mein rah sakte hain मोबाइल की जीपीएस पर हम कहीं भी पहुंच सकते हैं जो हमें जाना है इस युग में मोबाइल हमारे लिए मनोरंजन का साधन बन ही गया है इसी युग में मोबाइल से ही सारे काम होते हैं मोबाइल के जरिए ही आकर बैठे वर्क कर सकते हैं इसके लिए हमें कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है मोबाइल से हम फिल्म गाना भजन संध्या खेल समाचार आदि दे सकते हैं कि हमारे देश में क्या चल रहा है यह मोबाइल के जरिए कहीं पर भी देख सकते हैंयह आदत हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करता है। हमारे स्वास्थ्य पर मोबाइल फ़ोन के लत का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके अधिक उपयोग से व्यक्ति में चिड़चीड़ापन का होना, हमेशा सिर दर्द की समस्या, नेत्र संबंधित समस्या, अनिंद्रा व मोबाइल के हानिकार रेडिएशन से हृदय संबंधित रोग भी हो सकते हैं। अबे 1 दिन में कम से कम 1 से 2 घंटे के लिए मोबाइल का यूज करना चाहिए अगर आप ज्यादा मोबाइल का यूज करते हैं तो हमारी आंखों पर काफी प्रभाव पड़ता है जिससे कि हमें लगातार देखने पर आ गए हमारे आंखों की रोशनी कम हो जाती है हमारे धीरे-धीरे चश्मा लग जाता है हमारे लिएदिन के कुछ घंटे आप अपना डाटा ऑफ़ रखें यानी कि इंटरनेट बंद रखें। इससे आपका मन बार-बार फोन देखने के लिए नहीं ललचाएगा और बैटरी की भी बचत होगी। 4. अपने फोन को चेक करने का समय निश्चित करें, उसी दौरान आप सभी अपडेट्स देख लें, बार-बार देखने से भी आपके काम की ज्यादा अपडेट्स आ जाएगी, ऐसा तो होने से