1. प्रस्तावना-- विधाता की इस अनोखी सृष्टि में नर और नारी जीवन पथ के दो ऐसे पहिए हैं जो दांपत्य बंधन में बंधकर सृष्टि प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं परंतु वर्तमान काल में अनेक कारणों से लिंग भेद का गणित रूप सामने आ रहा है जो कि पुरुष सत्तात्मक समाज में कन्या भ्रूण हत्या का पर्याय बन कर बालक बालिका के समान अनुपात को बिगाड़ रहा है जिसके कारण आज बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जी समस्या का नारा देना हमारे जीवन के लिए सोचनीय है यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता ऐसे श्रेष्ठ परंपा वाले देश के लिए नारा कलंक है इसका तात्पर्य दार्थ जहां नारी की पूजा होती है वहां भगवान निवास करते हैं
2. वर्तमान में समाज की बदली मानसिकता- वर्तमान में मध्यवर्गीय समाज बालिकाओं को पढ़ाने की दृष्टि से अपनी परंपरावादी सोच को ही महत्व देता चला आ रहा है क्योंकि है बेटी को पराया धनिया मानता है वही पुत्र को कुल परंपरा को बढ़ाने वाला बता वृद्धावस्था का सारा मानता है इसलिए बेटी को पालना पूछना पढ़ाना दिखाना उसकी शादी में भेज देना आदि को भी बजे का भार ही मानता है इस दृष्टि से कुछ स्वार्थी सोच वाले कन्या जन्म को ही नारी चाहते हैं इसलिए वे चिकित्सा के साधनों के द्वारा गर्भावस्
में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या जन्म को रोक देते हैं परिणाम स्वरूप जनसंख्या में बालक बालिकाओं के अनुपात में अंतर स्पष्ट रूप से परिलक्षित होने लगा है जो भाभी दांपत्य जीवन के लिए एक बहुत बड़ी बाधा बन रहा है
3. लिंगानुपात में बढ़ता अंतर -- आज के समाज की बदली मानसिकता के कारण लिंगानुपात कटने की जगह बढ़ता जा रहा है विभिन्न दशकों में हुई जनगणना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है सन 2011 की जनगणना के अनुसार जनगणना के आधार पर बालक और बालिकाओं का अनुपात 1118 तक पहुंच गया है अनुपात के अंतर को देख कर दो विवाहित जीवन में आने वाली घटनाओं के प्रति समाज की ही नहीं सरकार की इस चिंता से ही मुक्त होने की दशा में सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया है
4. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान एवं उद्देश्य-- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के संबंध में हमारे राष्ट्रपति ने सबसे पहले दोनों सदनों को संयुक्त अधिवेशन के समीप जून 2014 को संबोधित किया जिसमें इस आवश्यकता पर बल दिया गया है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ उनका संरक्षण और सशक्तीकरण किया जाए इसके बाद यह निश्चय किया गया कि महिला एवं बाल विकास विभाग इस अभियान का मुख्य मंत्रालय रहेगा जोड़ी परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ मिलकर इस कार्य को आगे बढ़ाएंगे बालिकाओं को रोकने के साथ बालिकाओं को उनके विकास के लिए शिक्षा से संबंधित गतिविधियों में पूर्ण भागीदारी रहेगी उनको शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार एवं कौशल विकास के कार्यक्रमों में मीडिया के माध्यम से हर तरह से प्रोत्साहित किया जाएगा संविधान के माध्यम सलिंक आधार आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा साथ ही लिंग परीक्षण प्रतिबंधित होगा
5. उप संघार-- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसा संख्यात्मक अभियान आज हमारे देश के सामने एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या के रूप में आकर खड़ा हो गया है इस समस्या के निदान के लिए सरकार को भी नहीं हम सब को सामाजिक दृष्टि से जागरूक होना होगा इसके लिए हमें रूढ़िवादी सोच का फर्क क्या करना चाहिए सर ईश्वर के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए संतान उसी की देन है और लड़का लड़की एक समान है हम किसी के भी भाग्यविधाता नहीं ईश्वर द्वारा ही सब कुछ निर्धारित होता है इसलिए इस पर ही करता है हमने इस प्रकार की परिवर्तित शोर से ही बिगड़ते लिंगानुपात में सुधार होगा और बेटियों को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त होगा हम समझ जाएंगे की बेटी कर का पार नहीं घर की रोशनी होती है